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जालंधर के इस अस्पताल ने किया यह काला कारनामा ‼️

जालंधर (हितेश सूरी) : स्थानीय वर्कशॉप चौक स्थित संजीवनी अस्पताल से आज बड़ा मामला सामने आ रहा है। आज अस्पताल के बाहर दोपहर को उस समय भारी हंगामा हुआ जब मोगा के रहने वाले कुछ लोगो ने अस्पताल पर पहले से मर चुके मरीज के इलाज के नाम पर पैसे मांगने का आरोप लगाया है। बताया जा रहा है कि जालंधर से सड़क दुर्घटना में जान गवाने वाले नौजवान मृतक के परिजनों ने संजीवनी अस्पताल के डा. कुलदीप सिंह द्वारा र्दुव्यवहार करने का आरोप लगाकर अस्पताल के बाहर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया। बताते चले कि मृतक के परिजनों ने अस्पताल के डाक्टर पर कोताही करने के आरोप लगाते हुए नारेबाजी शुरू कर दी। मिली जानकारी के अनुसार मोगा के चक्क सिंह की गाड़ी से बलविन्द्र सिंह का आज सुबह शाहकोट के निकट एक्सीडैंट हो गया जो कि प्राईवेट कंपनी में सिक्यिरोटी गार्ड है। एक्सीडैंट के पश्चात गाड़ी चालक बलविन्द्र को घायलावस्था में संजीवनी अस्पताल ले आया। कुछ देर बाद बलविन्द्र के परिजनो को जब एक्सीडैंट का पता चला तो वह ढूंढते हुए संजीवनी अस्पताल पहुंच गए। मृतक के गांव से आए सरपंच परमजीत सिंह, गुरमेल सिंह व मृतक के भाई चरणजीत सिंह ने बताया कि वह अस्पताल पहुंचे तो डा. कुलदीप सिंह द्वारा उनके साथ र्दुव्यवहार किया गया। जब उनसे पूछा कि बलविन्द्र को अस्पताल कौन लाया तो उन्हें यह बताया गया कि उन्हें नहीं पता, कोई व्यक्ति उसे यहां छोड़ गया।बलविन्द्र जब अस्पताल में लाया गया तो उसकी मृत्यु हो चुकी थी। मृतक के परिजनों का आरोप है कि अस्पताल में बलविन्द्र को लाने के समय अस्पताल स्टाफ द्वारा उसे लाने वाले की कोई ऐंटरी नहीं की गयी । परिजनों ने यह भी बताया कि जब उन्होने अस्पताल में लगे सीसीटीवी फुटेज चैक करवाने को कहा तो पहले इंकार किया गया, लेकिन बाद में जब चैक करके देखा गया तो उसमे बलैरा पिकअप गाड़ी में घायल बलविन्द्र को अस्पताल लाया गया और वो गाड़ी लगभग 30-40 मिनट अस्पताल के बाहर रही। मृतक के परिजनों का आरोप है कि बलविन्द्र को शाहकोट से वर्कशाप चौक के निकट संजीवनी अस्पताल ही क्यों लाया गया, जबकि शाहकोट से जालंधर मेन रोड़ पर ही कई अस्पताल हैं। परिजनों ने यह भी आरोप लगाए है कि एक्सीडैंट करने वालों और अस्पताल प्रबंधन के बीच मिलीभगत है। बता दे कि लोगों ने अस्पताल के बाहर यातायात अवरूद्ध कर प्रदर्शन शुरू किया है। लोगों ने आरोप लगाया कि अस्पताल प्रबंधन द्वारा शव देने के लिए भी डेढ लाख की मांग की गई। सूचना मिलते ही संबंधित थाना की पुलिस मौके पर पहुंची। बातचीत के दौरान कुछ अन्य लोगों की मध्यस्थता के चलते अस्पताल प्रबंधन ने शव पीड़ित परिवार के हवाले कर दिया। जिसके पश्चात लोग शांत हुए। उधर, इस बारे में अस्पताल प्रबंधन की तरफ से कोई स्टेटमैंट नहीं मिली है। डॉक्टर मीडिया के सवालों का जवाब देने से बचते रहे। अगर इस समाचार के सम्बन्ध में संजीवनी अस्पताल प्रबंधन या फिर कोई डॉक्टर किसी भी प्रकार का पक्ष पेश करते है तो वह प्रमुखता से प्रकाशित किया जाएगा।

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