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भारत के महानायक महाराजा रणजीत सिंह की प्रतिमा पर हमला : कनाडा में नकाबपोश फिलिस्तीनी आंतकियों ने मूर्ति पर लगाया फिलिस्तीन का झंडा

जालंधर (योगेश सूरी) : कनाडा के ब्रैम्पटन प्रांत में महाराजा रणजीत सिंह की मूर्ति पर हमला करने की कोशिश की गई है। हमले में शामिल फिलिस्तीनी आंतकीयों ने महाराजा रणजीत सिंह की प्रतिमा पर फिलिस्तीन का झंडा तक लगा दिया। इसका वीडियो सामने आने के बाद सोशल मीडिया काफी गरमाया हुआ है। उक्त वीडियो एक कनाडाई पत्रकार द्वारा शेयर किया गया है। पत्रकार ने ये हरकत करने वाले आरोपियों को जिहादी कहकर संबोधित किया है।वायरल हो रहा वीडियो करीब 37 सेकेंड का है।

जिसमें महाराजा रणजीत सिंह की प्रतिमा पर चढ़े 2 आंतकी फिलिस्तीन का झंडा उनके घोड़े पर लगा रहे हैं। दोनों युवकों ने अपने मुंह ढके हुए थे और नीचे कई व्यक्ति खड़े हुए थे। साथ ही एक व्यक्ति किसी कपड़े से महाराजा रणजीत सिंह के घोड़े पर कपड़ा बांधता हुआ नजर आ रहा था। कई लोगों ने उक्त सारे घटनाक्रम का वीडियो भी बनाया है। सारे मामले को कनाडा की पील पुलिस को अवगत करवाया जा चुका है। अब इस पर कनाडाई पुलिस द्वारा जांच की जा रही है। फिलहाल मामले में किसी प्रकार का बयान नहीं जारी किया गया है। महाराजा रणजीत सिंह को एक महान भारतीय शासक और सिख इतिहास के वीर नायक के रुप में जाना जाता हैं। महाराजा रणजीत सिंह का जन्म 13 नवंबर 1780 को पंजाब के गुजरांवाला (अब पाकिस्तान में) में हुआ। जब महाराजा रणजीत सिंह सिर्फ 10 साल के थे तो उन्होंने पहला युद्ध लड़ा था। मात्र 12 साल की उम्र में उन्होंने राजगद्दी संभाली और 18 साल की उम्र में लाहौर को फतेह कर लिया था। 40 वर्षों तक के अपने शासनकाल में उन्होंने अंग्रेजों को अपने साम्राज्य के आसपास भी भटकने नहीं दिया। महाराजा रणजीत सिंह की उम्र महज 12 साल ही थी जब उनके पिता की मृत्यु हो गई थी। खेलने की उम्र में उनके कंधों पर गद्दी की जिम्मेदारियां आ गईं। लेकिन उनकी ताजपोशी तब हुई जब वह 20 साल के हुए। 12 अप्रैल 1801 को रणजीत सिंह की पंजाब के महाराज के तौर पर ताजपोशी की गई। ताजपोशी के बाद 1802 में उन्होंने अमृतसर को अपने साम्राज्य में मिला लिया और 1807 में अफगानी शासक कुतुबुद्दीन को हराकर कसूर पर भी कब्जा कर लिया। 1818 में मुल्तान और 1819 में उन्होंने कश्मीर पर भी कब्जा कर लिया। हालांकि, 27 जून, 1839 को महाराजा रणजीत सिंह का निधन हो गया था।

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