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दीपावली बाद साल का आखिरी सूर्य ग्रहण आज

जालंधर (न्यूज़ लिंकर्स ब्यूरों) : दीपावली बाद आज साल का आखिरी सूर्यग्रहण है। हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष कार्तिक अमावस्या तिथि पर लक्ष्मी-गणेश की पूजा करते हुए दिवाली का त्योहार मनाया जाता है और अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। लेकिन इस बार दिवाली के फौरन बाद ही आंशिक सूर्यग्रहण लगेगा। कई वर्षों बाद दिवाली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा न होकर एक दिन का अंतर है। दिवाली और गोवर्धन पूजा के बीच सूर्य ग्रहण का ऐसा संयोग कई वर्षो बाद पड़ रहा है। एक गणना के अनुसार पिछले 1300 वर्षों बाद सूर्य ग्रहण दो प्रमुख त्योहार के बीच पड़ने के साथ बुध, गुरु, शुक्र और शनि सभी अपनी-अपनी राशि में मौजूद रहेंगे। साल का यह आखिरी आंशिक सूर्यग्रहण भारत के कई हिस्सों में दिखाई देगा। भारत में सूर्यग्रहण दिखाई देने से इसका सूतक काल मान्य होगा। जिसके कारण ग्रहण से संबंधित धार्मिक मान्यताएं का पालन किया जाएगा। जाएगी। आइए जानते हैं आज लगने वाले सूर्य ग्रहण से संबंधित सभी जानकारियां और इसके प्रभाव के बारे में विस्तार से :-

[highlight color=”red”]भारत में कितने बजे शुरू होगा सूर्य ग्रहण ?[/highlight]

सूर्य ग्रहण की तिथि : 25 अक्टूबर 2022
सूर्य ग्रहण का समय : 16:22 से 17:42 तक
सूर्य ग्रहण की समय अवधि : 1 घंटे 19 मिनट

[highlight color=”red”]भारत में कहां-कहां दिखाई देगा सूर्यग्रहण[/highlight]

वैदिक पंचांग की गणना के अनुसार सूर्यग्रहण हमेशा अमावस्या तिथि पर ही लगता है। इस बार कार्तिक अमावस्यता तिथि 25 अक्तूबर हो और इसी दिन आंशिक सूर्य ग्रहण लगेगा। देश के खगोल वैज्ञानिकों के अनुसार दिवाली के बाद लगने वाला सूर्य ग्रहण देश के उत्तरी और पश्चिमी भागों में आसानी के साथ देखा जा सकेगा,जबकि पूर्वी भागों में यह ग्रहण नहीं दिखाई देगा क्योंकि यहां पर सूर्यास्त जल्दी हो जाएगा। भारत में ग्रहण की शुरुआत शाम के 4 बजे के बाद ही होगी।

[highlight color=”red”]देश में यहां दिखेगा सूर्य ग्रहण[/highlight]

दिल्ली, राजस्थान,पश्चिमी मध्य प्रदेश, गुजरात, पंजाब,उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड. जम्मू, श्रीनगर, लेह और लद्दाख

[highlight color=”red”]देश के इन हिस्सों में कुछ समय के लिए दिखेगा सूर्य ग्रहण[/highlight]

दक्षिण भारत के हिस्से जैसे तमिलनाडु, कर्नाटक,मुंबई, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड और बंगाल

[highlight color=”red”]देश के इन हिस्सों में नहीं दिखाई देगा सूर्य ग्रहण[/highlight]

देश के पूर्वी भागों में असम,अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और नागालैंड

[highlight color=”red”]इस राशि में लगेगा सूर्य ग्रहण[/highlight]

ज्योतिष गणना के अनुसार दिवाली के बाद यानी 25 अक्तूबर को लगने वाला सूर्यग्रहण तुला राशि में लगेगा।

[highlight color=”orange”]दुनिया के किन हिस्सों में दिखाई देगा सूर्य ग्रहण[/highlight]

25 अक्तूबर को साल का आखिरी सूर्य ग्रहण होगा फिर 08 नवंबर को पूर्ण चंद्र ग्रहण भी लगेगा। यह सूर्य ग्रहण यूरोप, उत्तरी-पूर्वी अफ्रीका, मध्य और पश्चिमी एशिया, ऐशिया, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और प्रशांत महासागर।

[highlight color=”pink”]सूर्य ग्रहण और ज्योतिषीय संयोग[/highlight]

इस वर्ष दिवाली के अगले दिन सूर्य ग्रहण का योग और ग्रहों का योग 1300 सालों बाद बना रहा है। ग्रहण के समय चार ग्रह खुद की राशि में मौजूद रहेंगे। जिसमें बुध,गुरु, शनि और शुक्र सभी चारों ग्रह अपनी-अपनी राशि में मौजूद रहेंगे। शनि मकर राशि में, गुरु अपनी मीन राशि में,बुध कन्या राशि में और शुक्र तुला राशि में रहेंगे।

[highlight color=”black”]सूर्य ग्रहण का सूतक काल कब से होगा शुरू[/highlight]

भारत में आंशिक सूर्य ग्रहण लगने के कारण इसका सूतक काल मान्य होगा। धार्मिक नजरिए से सूतक काल को शुभ नहीं माना जाता है। सूतक में पूजा-पाठ और शुभ काम वर्जित होते हैं। हिंदू पंचांग की गणना के अनुसार 25 अक्तूबर को सूर्य ग्रहण शाम चार बजे के आसपास शुरू हो जाएगा। सूर्य ग्रहण लगने पर सूतक काल ग्रहण के शुरू होने से 12 घंटे पहले लग जाता है। यह ग्रहण करीब डेढ़ घंटे तक चलेगा।

[highlight color=”black”]ग्रहण में क्या करें और क्या न करें?[/highlight]

जब भी कोई ग्रहण लगता है उसके पहले सूतक काल आरंभ हो जाता है। सूर्यग्रहण होने पर 12 घंटे पहले और चंद्र ग्रहण लगने पर 5 घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाता है। सूतक काल को अशुभ माना गया है इसलिए सूतक लगने पर पूजा-पाठ,धार्मिक अनुष्ठान और शुभ काम नहीं किए जाते हैं। मंदिर के पट बंद दो जाते हैं। ग्रहण में न तो खाना पकाया जाता है और न ही खाना खाया जाता है। ग्रहण के दौरान मंत्रों का जाप और ग्रहण के बाद गंगाजल से स्नान और दान किया जाता है। ग्रहण की समाप्ति होने पर पूरे घर में गंगाजल से छिड़काव किया जाता है।

[highlight color=”red”]क्या न करें :-[/highlight]

ग्रहण के दौरान कभी भी कोई शुभ काम या देवी-देवताओं की पूजा नहीं करनी चाहिए।
ग्रहण के दौरान न ही भोजन पकाना चाहिए और न ही कुछ खाना-पीना चाहिए।
ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं का ग्रहण नहीं देखना चाहिए और न ही घर से बाहर जाना चाहिए।
ग्रहण के दौरान तुलसी समेत अन्य पेड़-पौधों नहीं छूना चाहिए।

[highlight color=”red”क्या करें :-[/highlight]

  • ग्रहण शुरू होने से पहले यानी सूतक काल प्रभावी होने पर पहले से ही खाने-पीने की चीजों में पहले से तोड़े गए तुलसी के पत्ते को डालकर रखना चाहिए।
  • ग्रहण के दौरान अपने इष्ट देवी-देवताओं के नाम का स्मरण करना चाहिए।
  • ग्रहण के दौरान इसके असर को कम करने के लिए मंत्रों का जाप करना चाहिए।
  • ग्रहण खत्म होने पर पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए।

[highlight color=”red”]सूर्य ग्रहण पर गर्भवती महिलाएं किन-किन बातों का रखें ध्यान?[/highlight]

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान विशेष सावधानियां बरतनी चाहिए। गर्भवती महिलाओं को न तो ग्रहण देखना चाहिए और न ही ग्रहण के दौरान घर से बाहर जाना चाहिए। ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानियां बरतने की सलाह दी जाती है इसके पीछे कई धार्मिक मान्यताएं और वैज्ञानिक तथ्य होते हैं। ग्रहण के दौरान अगर गर्वभती महिलाएं सूर्य ग्रहण देखती हैं या फिर बाहर निकलती हैं तो गर्भ में पल रहे नवजात शिशु पर नकारात्मक असर पड़ता है। ग्रहण के दौरान सूर्य से निकलने वाली किरणें मां और बच्चे की सेहत पर बुरा प्रभाव डालती हैं। ज्योतिष के नजरिए से ग्रहण के समय सूर्य और चंद्रमा पर बुरे ग्रह राहु-केतु का प्रभाव सबसे ज्यादा होता है। इस कारण से बच्चे की कुंडली में इन ग्रहों से संबंधित कोई न कोई दोष हो सकता है।
ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाएं बाहर जाने से बचें।

  • गर्भवती महिलाओं को सूर्य ग्रहण नहीं देखना चाहिए।
  • गर्भवती महिलाएं ग्रहण शुरू होने से पहले और खत्म होने के बाद स्नान अवश्य करें।
  • ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को कोई भी नुकीली चीज का प्रयोग करने से बचना चाहिए।
  • सूर्य ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को सोने से बचना चाहिए।

[highlight color=”red”]ग्रहण के दौरान खाने-पीने की चीजों में तुलसी के पत्ते क्यों डाले जाते हैं?[/highlight]

  • सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण के दौरान सूतक लगने पर खाने-पीने की सभी चीजों में तुलसी के पत्ते डाला जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से ग्रहण की सभी तरह की नकारात्मक किरणें खाने-पीने की चीजों पर नहीं होता है।
  • ग्रहण के दौरान वातावरण में नकारात्मक और दूषित किरणें फैली हुई होती हैं जो सेहत के लिए हानिकारक मानी गई हैं। आयुर्वेद में तुलसी के पत्तों का बहुत ही महत्व होता है। तुलसी के पत्ते संजीवनी होते हैं। तुलसी में एंटी-बैक्टीरिया और आयरन तत्व बहुत होते हैं। इसका सेवन करने से व्यक्ति की इम्युनिटी बढ़ती है।
  • धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सूर्य ग्रहण के दौरान सभी तरह के खाने-पीने की चीजें अपवित्र हो जाती हैं। इस कारण से खाने-पीने की चीजों में तुलसी के पत्ते डाल दिए जाते हैं ताकि सूर्य ग्रहण का नकारात्मक प्रभाव न पड़े।
  • इस बात का विशेष ध्यान रखें कि जब भी ग्रहण लगे तो उस दौरान तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए। ग्रहण के लगने के एक दिन पहले ही तुलसी के पत्तों को तोड़कर रख लेना चाहिए। ग्रहण के अलावा रविवार और अमावस्या के दिन भी तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ना चाहिए। तुलसी के स्वयं के गिरे हुए पत्तों का ही प्रयोग करना चाहिए।

[highlight color=”red”]सूर्य ग्रहण के दौरान सेहत पर प्रभाव[/highlight]

सभी जीव-जंतुओं,मनुष्यों और वनस्पतियों को सूर्य से ही ऊर्जा प्राप्त होती है। सू्र्य ऊर्जा प्राप्त करने का सबसे बड़ा माध्यम है। ज्योतिष में सूर्य को प्रकाश और जीवन का कारक माना जाता है। ऐसे में सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य की शक्ति कुछ देर के लिए क्षीण हो जाती है जिसका प्रभाव सभी पर अवश्य पड़ता है। सूर्य ग्रहण के दौरान सेहत पर कुछ इस तरह के प्रभाव होते हैं :-

  • थकान और सुस्ती महसूस करना
  • गर्भवती महिलाओं पर प्रभाव
  • आंखों पर दु्ष्प्रभाव
  • पाचनतंत्र पर बुरा प्रभाव
  • मानसिक प्रभाव

[highlight color=”black”]सूर्य ग्रहण कब लगता है?[/highlight]

धार्मिक नजरिए से ग्रहण की घटना को बहुत ही अशुभ माना जाता है। ग्रहण के दौरान किसी भी तरह का कोई भी शुभ काम या पूजा-पाठ नहीं होती है। लेकिन सूर्य और चंद्र ग्रहण को एक खगोलीय घटना माना जाता है। सूर्य ग्रहण तब लगता है जब चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह से ढक लेता है ऐसी स्थिति में सूर्य की किरणें पृथ्वी तक नहीं पहुंच पाती है। इस घटना को ही सूर्य ग्रहण या फिर पूर्ण सूर्य ग्रहण कहा जाता है। वहीं जब चंद्रमा सू्र्य के कुछ हिस्सों को ही ढक पाता है तो इसे आंशिक सूर्य ग्रहण कहते हैं। इस स्थिति में सूर्य की कुछ किरणें पृथ्वी तक पहुंचती तो नहीं। और जब चंद्रमा सूर्य के बीच वाले भाग को ढकता है तो सूर्य एक रिंग की तरह दिखाई देता है। इसे वलयाकार सूर्य ग्रहण कहते हैं।

[highlight color=”black”] सू्र्य ग्रहण के प्रकार[/highlight]

25 अक्तूबर को साल का आखिरी सूर्यग्रहण होगा। यह आंशिक सूर्य ग्रहण होगा। सूर्य ग्रहण कुल तीन प्रकार के होते हैं। पूर्ण सूर्य ग्रहण,वलयाकार सूर्य ग्रहण और आंशिक सूर्यग्रहण

[highlight color=”red”]सूर्य ग्रहण के दौरान उपाय[/highlight]

  • सूर्य ग्रहण के दौरान चारो तरफ दूषित और नकारात्मक ऊर्जाएं मौजूद रहती हैं। ऐसे में इनसे बचने के लिए और लाभ प्राप्त करने के लिए सूर्यदेव से संबंधित कुछ उपाय किए जाते हैं।
  • सूर्यग्रहण के दौरान सूर्य देव की आराधना करना उपयुक्त होता है।
  • सूर्य ग्रहण के दौरान इस मंत्र का जाप करें- “ॐ आदित्याय विदमहे दिवाकराय धीमहि तन्नो: सूर्य: प्रचोदयात”।
  • सूर्य ग्रहण के दौरान अच्छी सेहत और दोष से मुक्ति के लिए भगवान शिव को समर्पित महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
  • सूर्य ग्रहण पर दान और गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है।

[highlight color=”red”]इन राशियों पर पड़ सकता है प्रभाव- वृषभ, मिथुन,कन्या, तुला, वृश्चिक और मकर राशि[/highlight]

साल का यह आखिरी सूर्य ग्रहण तुला राशि में लगेगा। जब भी सूर्य ग्रहण पड़ता है तो इसका प्रभाव देश -दुनिया की स्थितियों के साथ जातकों के जीवन पर भी होता है। इस सूर्य ग्रहण का सबसे ज्यादा प्रभाव वृषभ, मिथुन,कन्या,तुला,वृ्श्चिक और मकर राशि के जातकों पर पड़ेगा। इनको सेहत संबंधित परेशानियां आ सकती है। आर्थिक परेशानियों में इजाफा देखने को मिल सकता है। आमदनी कम होगी। जीवनसाथी से मतभेद हो सकते हैं। धन हानि और मान-सम्मान को ठेस पहुंच सकती है।

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