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कंगना रानौत का बडप्पन : PM मोदी के शब्दों की गरिमा का किया सम्मान ; 3 कृषि कानूनों पर दिया बयान लिया वापिस, कहा- मैं BJP की कार्यकर्ता, PM के शब्दों की गरिमा का सम्मान करना हमारा कर्तव्य

जालंधर (योगेश सूरी) : BJP सांसद व सुप्रसिद्ध अदाकार कंगना रनोट ने बडप्पन का परिचय देते हुए व देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शब्दों की गरिमा का सम्मान करते हुए 3 कृषि कानूनों पर दिए अपने बयान वापिस ले लिया है l उन्होंने एक वीडियो जारी कर अपना बयान वापस लिया है। कहा है- यदि मैंने अपने बयान से किसी को डिसअपॉइंट किया हो तो मैं अपने शब्द वापस लेती हूं।

कंगना ने अपने बयान पर सफाई तब दी है जब उनके बयान को लेकर विपक्ष BJP को घेरने में लगा था। हरियाणा विधानसभा चुनाव के बीच आए कंगना के बयान से भाजपा ने भी कि किनारा कर लिया था। BJP प्रवक्ता गौरव भाटिया ने वीडियो जारी कर कहा था कि कंगना को 3 कृषि कानूनों पर बोलने का हक नहीं है।

कंगना ने वीडियो में क्या कहा
कंगना ने आज X पर वीडियो जारी कर कहा, ‘बीते कुछ दिनों में मीडिया ने मुझसे फार्मर्स लॉ (कृषि कानून) पर कुछ सवाल किए। और मैंने यह सुझाव दिया कि किसानों को फार्मर्स लॉ लाने का प्रधानमंत्री जी से निवेदन करना चाहिए। मेरी इस बात से बहुत सारे लोग निराश हैं, और डिसअपॉइंटेड हैं। जब फार्मर्स लॉ प्रपोज (प्रस्तावित) हुए थे तो काफी सारे लोगों ने इनका समर्थन किया था। लेकिन, बड़ी ही संवेदनशीलता से और सहानुभूति से हमारे प्रधानमंत्री जी ने वे लॉ वापस ले लिए थे। और हम सब कार्यकर्ताओं का कर्तव्य बनता है कि हम उनके शब्दों की गरिमा रखें।मुझे भी यह बात अब ध्यान में रखनी होगी कि मैं अब केवल एक कलाकार नहीं, भारतीय जनता पार्टी की कार्यकर्ता भी हूं। और मेरे ओपिनियन (राय) मेरे नहीं होने चाहिए। वह पार्टी का स्टैंड होना चाहिए। तो अगर मैंने अपने शब्दों से और अपनी सोच से किसी को डिसअपॉइंट किया हो तो मुझे खेद रहेगा। आई टेक माय वर्ड्स बैक (मैं अपने शब्द वापस लेती हूं)।’ भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कंगना के बयान पर कहा, ‘सोशल मीडिया पर भाजपा सांसद कंगना रनोट का 3 कृषि कानूनों का लेकर दिया बयान चल रहा है। ये कानून पहले ही वापस लिए जा चुके हैं। मैं बिल्कुल स्पष्ट कहना चाहता हूं कि यह बयान कंगना रनोट का व्यक्तिगत है। BJP की ओर से कंगना ऐसा कोई बयान देने के लिए अधिकृत नहीं हैं, और न ही उनका बयान पार्टी की सोच है। इसलिए, उस बयान का हम खंडन करते हैं।’ 2 दिन पहले ही हिमाचल में एक कार्यक्रम के दौरान मीडिया से बात करते हुए कंगना ने 3 कृषि कानूनों को दोबारा लागू करने को कहा था। कंगना ने कहा था कि किसानों को खुद ये कानून लागू करने की मांग करनी चाहिए। बता दें कि नवंबर 2021 में केंद्र सरकार ने 14 महीने के किसान आंदोलन के बाद ये कानून वापस लिए थे।

2020 में लाए गए थे 3 कृषि कानून

5 जून 2020 को केंद्र सरकार एक अध्यादेश के जरिए 3 कृषि बिल लेकर आई थी। सितंबर 2020 को केंद्र सरकार लोकसभा और राज्यसभा में फार्म बिल 2020 लेकर आई। दोनों सदनों से यह बिल पास पास हो गए, लेकिन किसानों को यह बिल मंजूर नहीं थे। किसानों को आशंका थी कि नए बिल से मंडियां खत्म हो जाएंगी। MSP सिस्टम खत्म हो जाएगा। बड़ी कंपनियां फसलों की कीमतें तय करने लगेंगी। वे इसके विरोध में उतर आए। पंजाब के किसान रेल की पटरियों पर बैठ गए, लेकिन सरकार ने उन्हें वहां से हटा दिया।

19 नवंबर 2021 को कृषि कानून वापस लिए

किसान आंदोलन के दौरान अप्रैल-मई 2021 में पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, असम और पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव हुए। असम में BJP सरकार बनाने में कामयाब रही, लेकिन उसे 11 सीटों का नुकसान हुआ। पुडुचेरी में वह गठबंधन की सरकार बनाने में कामयाब रही।जबकि केरल, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में BJP को हार का सामना करना पड़ा। इन चुनावों में विपक्ष ने प्रधानमंत्री और BJP को खूब घेरा था। किसान नेता राकेश टिकैत ने पश्चिम बंगाल में BJP के खिलाफ प्रचार किया था। इसके बाद BJP की इंटरनल रिपोर्ट, सेना में नाराजगी, उप-चुनावों में मिली हार और 5 राज्यों में होने वाले चुनावों को देखते हुए PM मोदी ने 19 नवंबर 2021 को तीनों कृषि कानून वापस ले लिए। आखिरकार 14 महीने की तकरार के बाद 29 नवंबर को लोकसभा और राज्यसभा दोनों ही सदनों से बिना किसी चर्चा के ध्वनिमत से कृषि कानून वापस ले लिया गया। 11 दिसंबर को किसानों ने आंदोलन खत्म करने का ऐलान किया और दिल्ली बॉर्डर पर विजय दिवस मनाया।

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