
जालंधर (हितेश सूरी) : कृषि कानून लाते समय केंद्रीय कैबिनेट का हिस्सा रहीं हरसिमरत कौर बादल अब किसानों और लोक विरोध के चलते यू-टर्न लेने के लिए मजबूरीवश इस्तीफ़ा देकर चीची उंगली को खून लगाकर शहीद नहीं बन सकती। यह विचार कल पंजाब के जेल व सहकारिता मामलों के मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने व्यक्त किए। कैबिनेट मंत्री रंधावा ने कहा कि हरसिमरत ने पहले कैबिनेट में अपनी मौजूदगी से किसान विरोधी आर्डीनैंस को पास कराकर पंजाबियों को ज़ख़्म दिए और अब देरी से मजबूरीवश दिये इस्तीफ़े के साथ वह उन ज़ख़्मों पर मरहम लगने की कोशिश कर रही है, जिस पर राज्य के लोग विश्वास नहीं करेंगे। कैबिनेट मंत्री रंधावा ने कहा कि हरसिमरत अब किसानों के साथ कमाए द्रोह और अपने गुनाहों से पल्ला नहीं झाड़ सकती क्योंकि उन्होंने यह इस्तीफ़ा अपनी खुशी या किसानों के फिक्र के लिए नहीं दिया बल्कि राज्य में किसानों द्वारा किए गए रोष-प्रदर्शनों ने अकालियों की जड़ें हिला दीं। यह इस्तीफ़ा भी एक नाटक है और अगर वह सच्चे दिल से किसानों के साथ होते तो केंद्रीय सत्ता में एन.डी.ए. की हिस्सेदार भी छोड़ देते। अभी भी अकाली दल किसान विरोधी बिल लाने वाली भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के पाले में बैठा हुआ है। बादल परिवार की तरफ से अपनी कुर्सी बचाने के लिए पिछले चार महीनों से खेती आरडीनैंसों के प्रशंसा भरे बोल बोले जा रहे थे। यहाँ तक कि लम्बे समय से घर बैठे पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल जो खुद को किसानों का हितैशी कहलवाते हैं, से भी किसान विरोधी आर्डीनैंस के हक में बयान दिलाया गया।अकाली दल के इस ड्रामे में पंजाब के लोग और किसान नहीं आऐंगे और अकाली दल की तरफ से कमाए द्रोह के लिए कभी माफ नहीं करेंगे। कैबिनेट मंत्री रंधावा ने आगे कहा कि जिस केंद्रीय वजारत की ख़ातिर बादल परिवार ने ढींडसा, ब्रह्मपुरा जैसे सीनियर नेताओं की कुर्बानी ली थी आज वही वजीरी मजबूरीवश छोड़नी पड़ रही है। देरी से लिए गए इस छोटे फ़ैसले से भी अकाली दल अपनी साख नहीं बचा सकता।