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प्रख्यात पत्रकार व पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरुण शौरी पर लगे अब भ्रष्टाचार के आरोप, CBI कोर्ट ने दिया FIR का आदेश

नई दिल्ली (न्यूज़ लिंकर्स ब्यूरो) : राजस्थान में जोधपुर के विशेष सीबीआई अदालत ने पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी, पूर्व सचिव प्रदीप बैजल और तीन अन्य लोगों के खिलाफ केस दर्ज करने का आदेश दिया है। अदालत ने यह आदेश लक्ष्मी विलास होटल को बाजार मूल्य से बहुत कम दाम में बेचने के मामले में दिया है। कोर्ट ने कहा कि जिस होटल की कीमत ढाई सौ करोड़ रुपये से भी ज्यादा थी, उन्हें सिर्फ सात करोड़ रुपये के औने-पौने दाम लेकर बेच दिया गया। ध्यान रहे कि अरुण शौरी वाजपेयी सरकार में विनिवेश मंत्री थे जिनके रहते मंत्रालय ने कई बड़ी सरकारी कंपनियों के सौदे को मंजूरी दी थी। अब वो इन्हीं सौदों में एक को लेकर निशाने पर आ गए हैं।सीबीआई के विशेष न्यायाधीश पूरन कुमार शर्मा ने यह भी आदेश दिया कि उदयपुर के लक्ष्मी विलास पैलेस होटल को राज्य सरकार को सौंप दिया जाए। इस होटल का संचालन पहले भारतीय पर्यटन विकास निगम द्वारा किया जाता था। 2002 में इसे भारत होटल्स लिमिटेड को बेच दिया गया, जिसका संचालन अब ललित ग्रुप ऑफ होटल्स के पास है।होटल की बिक्री से सरकार को हुए 244 करोड़ रुपये के कथित नुक्सान के मामले में सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट पर सुनवाई करते हुए जज ने यह आदेश दिए। सीबीआई रिपोर्ट में कहा गया है कि विनिवेश प्रक्रिया में अभियुक्तों के खिलाफ अभियोजन शुरू करने के लिए कोई सबूत नहीं मिले थे। लेकिन अदालत ने इस मामले में क्लोजर रिपोर्ट पेश करने को लेकर जांच एजेंसी की आलोचना की।न्यायाधीश शर्मा ने कहा, ‘प्रथम दृष्टया, ऐसा लगता है कि तत्कालीन मंत्री अरुण शौरी और तत्कालीन सचिव प्रदीप बैजल ने अपने कार्यालयों का दुरुपयोग किया और सौदे में केंद्र सरकार को 244 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया। सीबीआई देश की एक प्रतिष्ठित एजेंसी है, आपराधिकता की ओर इशारा करने वाले तथ्यों के बावजूद उसके द्वारा क्लोजर रिपोर्ट पेश करना चिंता का कारण है।’CBI in a Democracyइस मामले के तीन अन्य आरोपी हैं- फर्म लाजार्ड इंडिया लिमिटेड के तत्कालीन प्रबंध निदेशक आशीष गुहा, कांति करमसे एंड कंपनी के तत्कालीन निवेश प्रमुख कांतिलाल करमसे विक्रमसे और भारत होटल्स लिमिटेड की तत्कालीन चेयरपर्सन और प्रबंध निदेशक ज्योत्सना सूरी। अदालत ने आदेश दिया है कि इनपर भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी (आपराधिक साजिश) और 420 (धोखाधड़ी) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 (1) डी के तहत मामला दर्ज किया जाए।

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