AMRITSARBARNALABATHINDABREAKINGCHANDIGARHDOABAFARIDKOTFATEHGARH SAHIBFAZILKAFIROZPURGURDASPURHOSHIARPURJALANDHARKAPURTHALALUDHIANAMAJHAMALERKOTLAMALWAMANSAMOGAMOHALIMUKTSARNATIONALNAWANSHAHRPATHANKOTPATIALAPHAGWARAPUNJABRELIGIOUSROPARSANGRURTARN TARAN

माता शीतला अष्टमी 2024 : पढ़े शुभ मुहूर्त कब, कैसे होंगी देवी शीतला माता जी प्रसन्न, पढ़े माता शीतला अष्टमी व्रत पर न्यूज़ लिंकर्स की विशेष रिपोर्ट

जालंधर (न्यूज़ लिंकर्स ब्यूरों) : स्कंद पुराण में देवी शीतला माता का महत्व बताया गया है। हिंदू धर्म में माता शीतला अष्टमी व्रत का विशेष महत्व है। हिन्दू पंचांग के मुताबिक होली से आठवें दिन माता शीतला अष्टमी व्रत किया जाता है। इस व्रत की शुरुआत सप्तमी तिथि के साथ होती है। हर वर्ष चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को माता शीतला अष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस त्योहार को बसौड़ा अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस अवसर पर पूजा और व्रत करने से रोग से मुक्ति मिलती है और लंबी आयु का वरदान प्राप्त होता है। हिन्दू मान्यता के अनुसार इस दिन चूल्हा नहीं जलाया जाता है, बल्कि चूल्हे की पूजा की जाती है। इस दिन व्रत करने से ज्वर, नेत्र विकार, चेचक जैसे रोगो से छुटकारा मिलता है। व्रत रखने से माता शीतला प्रसन्न होकर भक्तों को खुशियों का वरदान देते हैं।

[highlight color=”red”]शीतला माता का स्वरूप[/highlight]

हिंदू मान्यता के अनुसार शीतला मां का स्वरूप अत्यंत शीतल है और रोगों को हरने वाला है। इनका वाहन गधा है, तथा इनके हाथों में कलश, सूप, झाड़ू और नीम के पत्ते रहते हैं। मुख्य रूप से इनकी उपासना गर्मी के मौसम में की जाती है। इनकी उपासना का मुख्य पर्व शीतला अष्टमी है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, चैत्र महीने के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को बसोड़ा पूजन किया जाता है।

[highlight color=”red”]माता शीतला अष्टमी 2024 शुभ मुहूर्त[/highlight]

हिन्दू पंचांग के मुताबिक चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 1 अप्रैल को रात 9 बजकर 9 मिनट पर शुरू होगी और इसका समापन 2 अप्रैल को रात 8 बजकर 8 मिनट पर होगा। ऐसे में 2 अप्रैल 2024 को शीतला अष्टमी व्रत रखा जाएगा। इस दिन सूर्योदय से पहले पूजा की जा सकती है और पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 10 मिनट से लेकर शाम 6 बजकर 40 मिनट तक रहेगा। शीतला माता का पूजन सप्तमी तिथि के दिन भी किया जाता है और इसे शीतला सप्तमी कहते हैं।

[highlight color=”orange”]मां शीतला को प्रसन्न कैसे करें ??[/highlight]

इस दिन प्रात: काल उठकर पानी में गंगा जल मिलाकर स्नान करें। साफ-सुथरे नारंगी रंग के वस्त्र धारण करें। पूजा करने के लिए दो थाली सजाएं। एक थाली में दही, रोटी, पुआ, बाजरा, नमक पारे, मठरी और सप्तमी के दिन बने मीठे चावल रखें और दूसरी थाली में आटे का दीपक बनाकर रखें। रोली, वस्त्र अक्षत, सिक्का और मेहंदी रखें और ठंडे पानी से भरा लोटा रखें। घर के मंदिर में शीतला माता की पूजा करके बिना दीपक जलाए रख दें और थाली में रखा भोग चढ़ाए और साथ ही नीम के पेड़ पर जल चढ़ाएं। इससे मां शीतला प्रसन्न होते है।

[highlight color=”blue”]माता शीतला अष्टमी पर क्या करें और क्या ना करें ??[/highlight]

इस दिन चूल्हा नहीं जलने के कारण बासी खाना खाया जाता है। यह ऋतु का अंतिम दिन होता है। इसके बाद बासा खाना नहीं खाया जाता। मान्यताओं के अनुसार माता शीतला रोगों को दूर करने वाली हैं और इस व्रत में परिवार के लिए भोजन पहले दिन ही बनाया जाता है और इस दिन बासी भोजन कहते हैं। मान्यता है कि शीतला सप्तमी पर व्रती को प्रात: काल शीतल जल से स्नान करना चाहिए और उसके बाद विधि-विधान से मां शीतला की पूजा करनी चाहिए। शीतला माता की पूजा के दिन घर में चूल्हा नहीं जलता है। सप्तमी तिथि के दिन ही सारा भोजन बनाकर तैयार कर लिया जाता है और फिर दूसरे दिन घर की महिलाएं सुबह जल्दी उठकर शीतला माता की पूजा करती हैं। इसके बाद मां को बासी भोजन का भोग लगाया जाता है और घर के सभी सदस्य भी बासी भोजन ही खाते हैं। हिन्दू मान्यता के अनुसार, शीतला माता की पूजा के दिन ताजे खाने का सेवन और गर्म पानी से स्नान वर्जित है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!