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♦सावन मास प्रारम्भ :19 साल बाद सावन मास में 8 सोमवार एवं सावन और अधिकमास आएंगे एक साथ, क्या है यह शुभ योग, कैसे करें पूजा, जानें श्री शनि कृपा मूर्ति ईशु जी महाराज से
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जालंधर (हितेश सूरी) : हिन्दू धर्म में सावन का महीना सबसे पवित्र माना जाता है। हिंदू मान्यता अनुसार भगवान शिव को सावन का महीना अतिप्रिय है, इसलिए सावन मास में भगवान शिव की सबसे ज्यादा पूजा की जाती है। सावन के महीने में भक्त भगवान भोलेशंकर पर जल अर्पित करते हैं और साथ ही कई भक्त सावन के महीने में सोमवार को व्रत रख कर भगवान शिव की उपासना करते हैं। श्री शनि कृपा मूर्ति मंदिर, रियाजपुरा सैंट्रल टाउन के प्रमुख ईशु जी महाराज ने बताया कि हर साल सावन का महीना शिव भक्तों के लिए बहुत आस्था और उमंग के साथ पूरे विश्व भर में मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि श्रद्धालु सावन के महीने का बेसब्री से इंतजार करते हैं। श्री शनि कृपा मूर्ति ईशु जी महाराज बताते है कि इस बार का सावन मास बेहद खास होने वाला है क्योकि इस बार सावन का महीना तकरीबन दो माह का होने वाला है। उन्होंने कहा कि हिन्दू पंचांग के मुताबिक इस बार सावन मास 4 जुलाई, मंगलवार से शुरू होकर 31 अगस्त गुरुवार को समाप्त होगा। उन्होंने कहा कि इस बार सावन का महीना 59 दिन तक का रहेगा, जिसमें भक्तों को व्रत करने के लिए कुल 8 सोमवार मिलेंगे जोकि काफी शुभ योग माना जा रहा है क्योकि 19 साल बाद यह शुभ योग बना है। उन्होंने कहा कि सावन का पहला सोमवार 10 जुलाई और आखिर सोमवार 28 अगस्त को रहेगा जबकि आगामी 18 जुलाई से 16 अगस्त तक सावन अधिकमास भी रहेगा। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म में सावन के महीने को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। उन्होंने कहा कि इस दौरान देवों के देव महादेव की पूजा का बहुत ज्यादा महत्व होता है। उन्होंने कहा कि भगवान भोलेनाथ के भक्त उनकी पूरी विधि-विधान से पूजा करते है।

ईशु जी महाराज ने बताते है कि शिवपुराण के अनुसार सावन माह में सोमवार का व्रत करने वाले भक्तों की महादेव सारी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। उन्होंने कहा कि हिंदू मान्यता के अनुसार सावन के सोमवार को शिवलिंग का जलाभिषेक करना अत्यंत ही पुण्यदायी होता है। ईशु जी महाराज का कहना है कि धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक इस साल सावन और अधिकमास का एक साथ पड़ना शुभ योग माना जा रहा है क्योकि मान्यता है कि अधिकमास और सावन के महीने में भगवान शिव के साथ-साथ भगवान विष्णु की भी पूजा की जाती है।उन्होंने कहा कि ऐसे में भक्तो पर भगवान शिव और भगवान विष्णु की कृपा बरसती है। श्री शनि कृपा मूर्ति ईशु जी महाराज बताते है कि पौराणिक और धार्मिक मान्यता के अनुसार माता पार्वती ने भोलेनाथ को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए सावन में कठोर तप किए, जिसके बाद भगवान शिव माता पार्वती से प्रसन्न हुए और माता पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया और इसके साथ ही एक यह भी मान्यता है कि सावन में भगवान शिव कैलाश छोड़कर धरती पर निवास करते हैं तथा सावन में शिवजी धरती पर आकर सृष्टि का संचालन करते हैं।

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