खालिस्तानी उम्मीदवारों की जीत पर भिंडरावाले के भतीजे रोडे ने कहा- लोगों ने शिअद को नकारा क्योंकि बादल परिवार ने हमारी कौम को बदनाम किया
जालंधर (योगेश सूरी) : जरनैल सिंह भिंडरावाले के भतीजे और पूर्व अकाल तख्त प्रमुख जसबीर सिंह रोडे ने पंजाब की दो लोकसभा सीटों पर खालिस्तान समर्थकों की जीत पर खुशी जताई है। मंगलवार को जालंधर स्थित अपने घर पर मीडिया से बातचीत करते हुए रोडे ने कहा की पंजाब में दो सीटों पर हमारे दो उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था, हमने दोनों जगहों पर प्रचार किया और लोगों ने हमें जिताया।
रोडे ने कहा कि हमने भाई सरबजीत सिंह खालसा के पक्ष में वोट मांगे थे। क्योंकि खालसा के पिता ने श्री अकाल तख्त साहिब पर हमला करने वालों से बदला लिया था। रोडे ने कहा- खालसा के पिता बेअंत सिंह ने स्वर्ण मंदिर पर हमले के लिए पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को सजा दी थी। इस दौरान रोडे ने तत्कालीन भारत सरकार पर जमकर निशाना साधा। इंदिरा गांधी की हत्या पर सिखों को गर्व महसूस हुआ। फरीदकोट निवासियों ने खालसा का समर्थन कर उन्हें जिताया, जिससे सिख कौम गौरवान्वित है। खालिस्तानी अमृतपाल की जीत पर रोडे ने कहा की श्री खडू़र साहिब से अमृतपाल ने जीत दर्ज की है। हमने अमृतपाल के इलाके में बड़ी सभाएं की और मीटिंगे की, जिससे के परिणाम स्वरूप में हमें इतनी बड़ी जीत मिली। वहां के लोगों ने पंथ को चुना और पंथ के साथ चलने का फैसला लिया।रोडे ने शिरोमणि अकाली दल पर निशाना साधते हुए कहा कि पहले सिख पंथ ने शिअद को नवाजा था। मगर सुखबीर सिंह बादल ने पंथ के लिए कुछ नहीं कर पाए और अपने ही धर्म के खिलाफ बोलना शुरू कर दिया। जिससे पंजाब के लोगों के मनों से सुखबीर सिंह बादल उतर चुके थे। सुखबीर सिंह बादल ने हमें कई तरह के फतवे दिए। जिसमें कहा गया कि हम एजेंसियों को लोग हैं। रोडे ने आगे कहा कि पहले सरदार प्रकाश सिंह बादल द्वारा हमें बदनाम किया गया और अब सुखबीर ने किया। दोनों ने केंद्र सरकार को डराकर रखा हुआ था कि पंजाब रद्दी राज्य है। मगर जब सत्ता हमारे हाथ आई है तो हम समझदारी से इसका इस्तेमाल करेंगे। पार्लिमेंट में जाकर हम बंदी सिंहो को छुड़वाने की मांग करेंगे। बादल परिवार को लोगों ने नकार किया है, इसी वजह से आज शिअद सिर्फ एक सीट पर सिमट कर रह गई है।
अमृतपाल को NSA के तहत जेल असम भेजे जाने पर उठाए सवाल
रोडे ने कहा कि पंजाब में बहुत सी जेलें है। मगर सरकार ने एक रंजिश के तहत भाई अमृतपाल सिंह को असम की डिब्रूगढ़ जेल में भेज दिया। अमृतपाल को पंजाब की जेलों में भी रखा जा सकता है। एनएसए गलत ढंग से अमृतपाल पर लगाया गया है। विभिन्न पार्टियों के होने के बाद भी अमृतपाल ने इतनी बड़ी जीत दर्ज की।