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‘आया राम… गया राम’ की राजनीति ने वोटरों के अरमानों पर फेरा पानी : हारकर भी जीत रही है सत्ताधारी पार्टी

जालंधर (हितेश सूरी) : बीतें दिनों जालंधर में नगर निगम चुनाव के घोषित हुए नतीजों में किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिल सका, क्योकि बहुमत का आंकड़ा 43 था, लेकिन राज्य की सत्ताधारी पार्टी ‘आम आदमी पार्टी’ को सबसे ज्यादा 38 सीटें मिलीं। वही कांग्रेस को 25 सीटें और भाजपा को 19 सीटें मिली। ऐसे में राज्य की सत्ताधारी पार्टी ‘आम आदमी पार्टी’ पूर्ण बहुमत के आंकड़े से काफी दूर रह गई थी। मगर चुनावों के बाद पार्टी के आला अधिकारी जालंधर नगर निगम में आप पार्टी का मेयर बनाने हेतु जोड़-तोड़ में जुट गए और काफी कम समय में ‘आया राम… गया राम’ की राजनीति के साथ बहुमत के आंकड़े को आसानी से छू लिया। इस दौरान 2 कांग्रेसी, 1 भाजपाई, 2 निर्दलीय नव निर्वाचित पार्षदों ने झाड़ू थामकर आप पार्टी को ज्वाइन किया। वही आया राम-गया राम’ की राजनीति वोटरों के अरमानों पर पानी फेर दिया है क्योकि वोटरों ने कही ना कही आप पार्टी ज्वाइन करने वाले पार्षदों को आप पार्टी के विरोध में वोट डाले और उन्हें विजयी बनाया था और आप उम्मीदवारों को हराया था। अगर वोटरों को आप पार्टी का पार्षद चाहिए था तो वह क्यों कांग्रेस, भाजपा और आज़ाद उम्मीदवारों के पक्ष में मतदान करते और उन्हें विजयी बनाते। ऐसे में यह आया राम-गया राम की राजनीति उन वोटरों के अरमानों पर पानी फेर रही है जिन्होंने इन पार्षदों के पक्ष में मतदान किया। अगर बात करें पूर्व मेयर जगदीश राज राजा की पत्नी अनीता राजा की तो उनके वार्ड से कांग्रेसी पार्टी से चुनाव जीतने वाली पार्षद प्रवीण वासन को तकरीबन 2100 वोटरों ने कांग्रेस के पक्ष में और आप पार्टी के विरोध में मतदान करके उन्हें विजयी बनाया। मगर पार्षद प्रवीण वासन के आप पार्टी में शामिल होने के बाद कही ना कही यह उन 2100 लोगो के अरमानों पर पानी फेर दिया, जिन्होंने कांग्रेस के पक्ष में और आप पार्टी के विरोध में वोट दिए है। यह राजनीति उन 1880 वोटरों के अरमानों पर भी पानी फेर रही है जिन्होंने आप प्रत्याशी अनीता राजा के पक्ष में मतदान करते हुए कांग्रेस उम्मीदवार प्रवीण वासल को नकारा था। वही अब आप पार्टी के पास 43 पार्षद हो गए हैं, जिससे उनका मेयर बनना लगभग तय हो गया है और सत्ताधारी पार्टी चंद सीटें हार कर भी जीत गयी है। कांग्रेसी पूर्व विधायक राजिंदर बेरी का कहना है कि कांग्रेस छोड़कर आम आदमी पार्टी में शामिल हुए पार्षदों से पार्टी द्वारा इस्तीफा मांगा जाएगा, क्योंकि लोगों ने कांग्रेस को वोट डाले हैं, ना कि किसी व्यक्ति विशेष को। वही अगर सत्ताधारी पार्टी किसी भी पलटमार पार्षद को जालंधर का मेयर बना देती है तो वह पंजाब विधानसभा चुनावों 2027 में अपनी कुर्सी समेत अपनी मूल पार्टी में जा सकता है। वहीं जालंधर के एक आप विधायक खुद ‘आया राम… गया राम’ की राजनीति के तहत भाजपा छोड़कर आप पार्टी मे शामिल हुए थे और दूसरे आप विधायक पैराशूट सवार थे क्योंकि जालंधर के एक डाक्टर की दावेदारी पर पानी फेरते हुए दिल्ली हाईकमान ने पैराशूट सवार को आप पार्टी से टिकट दी थी और वह विधायक बन गए। ऐसे में यह ‘आया राम… गया राम’ की राजनीति हर रोज़ नया रंग दिखा रही है और सभी राजनितिक समीकरण फेल कर रही है और एजेंसियों की रिपोर्ट में बड़े बदलाव कर रही है। यह राजनीति लोगो की समझ के बाहर होती जा रही है।

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